भोपाल। नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया(एनएचएआई) के अधिकारियों और निर्माण कंपनी की मिलीभगत के चलते सात महीने पहले बनकर तैयार हुए राजधानी के सिंगारचोली स्थित फ्लायओवर ब्रिज की हालत पहली बारिश में ही जर्जर सी हो गई है। लालघाटी से एयरपोर्ट जाने वाली लेन के हिस्से में फ्लायओवर की सड़क धंसने लगी है, ब्रिज में पानी के कारण सीट ने मटेरियल को छोड़ दिया है। जिससे इसकी प्रीकास्टेड वाली दीवार फट रही है। बड़े हादसे की आशंका को देखते हुए फ्लायओवर से यातायात रोक दिया गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि शिकायतों के बावजूद ब्रिज के निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार पर ध्यान नहीं दिया गया, इससे अब लोगों की जान पर बन आई है।
दरअसल, बीते दो दिनों से हो रही तेज बारिश के चलते ब्रिज पर पानी भर गया था। ब्रिज के नीचे सर्विस लेन भी पानी में डूबी रही। रहवासियों ने जब ब्रिज के आसपास पड़ताल की तो ब्रिज के कई हिस्सों से पानी का रिसाव मिला। वहीं ब्रिज की प्रिकास्टेड वाल टूटने की कगार पर पहुंच गई। जब इसकी जानकारी एनएचएआई के अधिकारियों को दी तो उन्होंने ब्रिज से तत्काल यातायात बंद कराया।
ब्रिज निर्माण की घटिया गुणवत्ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गीला होने के बाद सीमेंट व मटेरियल हाथ लगाने से झड़ रहा है। यही कारण है कि पत्थर की सिल्लियों के जोड़ सिर्फ दो दिनों की बारिश में ही ढीले हो गए।
ब्रिज निर्माण में लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बेस के मटेरियल को सेट करने के लिए लोहे की जिन सेंटिंग को लगाया गया था उन्हें अब तक नहीं निकाला गया। ब्रिज के नीचे निकलने वाले रास्ते के ठीक ऊपर यह सेंटिंग लगी हुई थी।
राष्ट्रीय राजमार्ग 12 पर बने इस फ्लायओवर से रोजाना करीब 1 लाख वाहन गुजरते हैं। इसके आसपास 20 कॉलोनियों में डेढ़ लाख से अधिक लोग भी रहते हैं।
कांक्रीट का ढांचा खड़ा करने से पहले ऐसे प्रोजेक्ट को लेकर बारीकी से जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिए। बेस में दिक्कत आने की दो वजह होती है। पहला तो यह कि डिजाइन में लापरवाही की गई हो। दूसरा गुणवत्ताहीन काम किया गया हो। ठेकेदार के साथ यह एनएचएआई के संबंधित इंजीनियर की भी बड़ी लापरवाही है।